Anuradha Paudwal: सिंगर अनुराधा पौडवाल (Anuradha Paudwal) 70 साल की हो गई हैं मगर आज भी अपनी गायिकी से लोगों के दिलों पर राज करती हैं। इनके जन्मदिन के मौके पर आपको उनके बारे में दिलचस्प बातें बता रहे हैं। Read More

Image Credit: Facebook
भजन गायिका अनुराधा पौडवाल (Anuradha Paudwal) अब भले ही पर्दे से दूर हैं। उनके गाने नहीं आते हैं, मगर उन्होंने 90 के दौर में एक से बढ़कर एक एल्बम दिए हैं। उनकी गायिकी के लोग दीवाने रहे हैं। अनुराधा की एक झलक पाने और गायिकी को सुनने के लिए फैंस आज भी बेकरार रहते हैं। सिंगर के बारे में आज ये स बातें उनके जन्मदिन के मौके पर कर रहे हैं। 70 साल की हो गई हैं। उनका जन्म 27 अक्टूबर, 1954 को हुआ था। उन्होंने अपनी आवाज के दम पर इंडस्ट्री में सफलता हासिल की है। अनुराधा ना केवल भजन गायिका रही हैं बल्कि उन्होंने फिल्मों के लिए भी कई हिट गाने गाए हैं। ऐसे में चलिए आपको उनके बारे में दिलचस्प बातें बता रहे हैं।
Important Fact about anuradha Paudwal:
- उनका जन्म कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ के कारवार में एक कोंकणी परिवार में हुआ था। हालाँकि, उनका पालन-पोषण मुंबई में हुआ।
- अनुराधा कहती हैं कि संगीत में उनकी रुचि लताजी के एक गीत से पैदा हुई जो उन्होंने रेडियो पर सुना था।
- जब वह चौथी कक्षा में थी, तो उसने लताजी की आवाज को लाइव सुनने का सपना देखा था।
- उनकी आवाज जन्म से ही Hoarse Voice थी।
- बचपन में वे निमोनिया के गंभीर हमले से गंभीर रूप से बीमार पड़ गईं। उनकी आवाज़ लगभग पूरी तरह चली गई और वे 40 दिनों तक बिस्तर पर रहीं। उन 40 दिनों में उन्होंने सिर्फ़ एक आवाज़ सुनी; lata mangeshkar की।
- जब अनुराधा अस्पताल में भर्ती थीं, तो उनके एक अंकल ने उन्हें लताजी की आवाज़ में भगवद् गीता की रिकॉर्डिंग भेंट की थी और जब वे ठीक हुईं, तो उनकी आवाज़ पूरी तरह बदल चुकी थी। उसके बाद उन्होंने अपनी आवाज़ को ढालना शुरू कर दिया।
- अनुराधा पौडवाल, के लिए लता मंगेशकर किसी भगवान से कम नहीं हैं क्योंकि वह अपनी सारी सफलताओं का श्रेय उन्हें देती हैं। वह कहती हैं, “मैंने कई गुरुओं से सीखा है। लेकिन उनकी आवाज़ हमेशा मेरी प्रेरणा रही है। यह एक संस्था की तरह है।”
- अनुराधा ने अपने स्कूल और कॉलेज के कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भाग लिया और कई पुरस्कार जीते। उन्हें सबसे पहला पुरस्कार लताजी के मीरा भजनों में से एक के लिए मिला था।
- जब वह किशोरावस्था में थी, तो उसे अरुण (एक संगीतकार) से प्यार हो गया, जब उसकी शादी अरुण से हुई तब वह 17 वर्ष की थी और अरुण 27 वर्ष का था।
- अरुण हमेशा उसे गाने के लिए प्रोत्साहित करते थे। वास्तव में, वह उसका करीबी गुरु और आलोचक भी बन गया।
- एक बार अरुण उसे लताजी (लता मंगेशकर) की एक रिकॉर्डिंग में ले गए। अनुराधा इतनी ध्यान से सुन रही थी कि वह ‘युवा वाणी’ पर लाइव गाना गा सकती थी, जो एक बहुत ही लोकप्रिय मराठी कार्यक्रम था; जिसे बहुत से लोगों ने सुना था। लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल, हृदयनाथ मंगेशकर और कई शीर्ष संगीतकारों ने रेडियो स्टेशन को यह पता लगाने के लिए कॉल किया कि कौन गा रहा था। उन्हें यह पता लगाने में थोड़ा समय लगा कि यह अलका नादकर्णी (अनुराधा पौडवाल का पहला नाम) थी। उन सभी ने अनुराधा पौडवाल को लॉन्च करने की पेशकश की, लेकिन उस समय वह स्वभाव से इच्छुक नहीं थी।
- महान संगीतकार एसडी बर्मन ही थे, जिन्होंने सबसे पहले उन्हें 1973 की हिंदी फिल्म अभिमान (अमिताभ बच्चन और जया भादुड़ी अभिनीत) में एक गीत (वास्तव में, एक शिव श्लोक) गाने का प्रस्ताव दिया था।
Anuradha Paudwal’s का पहला solo “आप बीती”(starring Shashi Kapoor and Hema Malini) फिल्म से था। उसके बाद उनका अपना पहला बड़ा फिल्म पुरस्कार फिल्म उत्सव (1984) के गाने “मेरा मन बाजे मृदंग….” के लिए जीती, उन्होंने यह पुरस्कार पाकर आश्चर्य हुई क्योंकि उन्हें हीरो के गाने ‘तू मेरा जानू है’ के लिए यह पुरस्कार मिलने की उम्मीद मे थी। जब उन्होंने सुभाष घई की फिल्म ‘हीरो’ में ‘तू मेरा जानू है’ गाना गाया तो यह चार्टबस्टर बन गया। शुरुआत में यह लताजी का गाना था, हालांकि, कुछ कारणों से यह गाना अनुराधा पौडवाल को दे दिया गया। सुभाष घई की ज़्यादातर फ़िल्मों में अनुराधा पौडवाल मुख्य गायिका थीं। उन्होंने गायत्री मंत्र भी गाया जो आज भी मुक्ता आर्ट्स के प्रतीक चिन्ह का हिस्सा है। Read More: Durgesh kumar: पंचायत के बनराकस इंजीनियरिंग से एक्टिंग तक, तीन बार फेल से क़ामयाबी तक